हौसले के तरकश में वह कोशिश का तीर जिंदा रखो, हार जाओ जिंदगी में चाहे सब कुछ, मगर फिर से जीतने की उम्मीद जिंदा रखो।
Keep that arrow of effort alive in the quiver of courage, Lose everything in life, but keep alive the hope of winning again.
यह कहानी एक फकीर बाबा की है जिसके बारे में कहा जाता था कि वह किसी भी बात को बड़े ही इंटरेस्टिंग तरीके से समझा ते और जिसको बात समझाते थे उसको हमेशा हमेशा के लिए बात याद हो जाती थी उनके बारे में बात धीरे-धीरे पॉपुलर होने लगी और उनकी यह ख्याति बढ़ने लगी और यह बात बात बढ़ते-2 उस राज्य के राजा तक पहुंचने लगी राजा को लगा कि इतने महान बाबा है जिनके बारे में इतने सारे लोग कह रहे हैं तो क्यों ना जा करके उनसे मुलाकात की जाए
राजा ने तुरंत महामंत्री को बुलाया और बोला कि जाकर के ढोल नगाड़े तैयार कर दो शानदार तरीके से जाएंगे और बाबा जी का सम्मान करेंगे और थोड़ा सा ज्ञान ले कर के वापस आ जाएंगे महामंत्री ने बोला कि हां हो जाएगा 1 दिन डिसाइड किया गया कि सारी सेना के साथ में अपनी लश्कर के साथ में राजा साहब निकल गए और यह सब पहुंचे उस फकीर बाबा के आश्रम के बाहर और वहां जाकर के देखे उस दरवाजे से ही फकीर बाबा दिख रहे थे और देखते हैं कि वह अपने बगीचे में गड्ढा खोद रहे थे
राजा को लगा कि कैसा बाबा है मतलब कितना महान बन चुका है और यह गड्ढा खोदने का काम कर रहा है यह तो अपने शिष्यों से भी करवा सकता है फिर उसने इस बात को इग्नोर उसने अपने महान मंत्री को बुला करके बोला कि अपने कुछ सैनिक भेजो और उन्हें जा करके बताओ कि हमारे इस राज्य के राजा साहब आपसे मिलने के लिए आए हैं राजा को मतलब ऐसा लग रहा था कि वह फकीर खुशी से पागल हो जाएगा कि राजा मुझसे मिलने के लिए आया है लेकिन वहां ऐसा कुछ भी नहीं हुआ सैनिक गए बाबा जी के पास और जा करके बोला कि राजा साहब आपसे मिलने के लिए आए हैं लेकिन बाबा जी के कानों में कोई असर ही नहीं पड़ा
मतलब उन्होंने ध्यान ही नहीं दिया सैनिक आया वापस मंत्री को बताया कि वह तो ध्यान ही नहीं दे रहे हैं हमारी बातों का मंत्री आकर के राजा को बताया राजा को बड़ा बड़ा लगा इस बातों का राजा को ऐसा लगा कि मेरा अपमान हो गया मतलब मेरी ही सेना के सामने बाबा मेरा अपमान कर रहे हैं मैं यहां ज्ञान लेने के लिए आया था मुझे यह अपमान मिल रहा है राजा अब इंतजार करने लगा कि बाबा फ्री हो तो एक बार मिल करके जाएं लेकिन बाबा जी अपना काम किए जाते किए जाते गड्ढा खोदे जा रहे थे अब राजा यह सब देख रहा था उसे बड़ा अजीब सा लग रहा था तो उसने कहा फिर ढोल नगाड़े बजाना शुरू कर दो क्या पता शोर मचेगा तो इस बाबा को थोड़ा अकल आएगी
उसे लग रहा था कि बाबा फकीर बाकी नहीं है पागल आदमी है कुछ देर के बाद ढोल नगाड़े भी शांत हो गए और थोड़ी देर में बाबा जी अपना काम खत्म करके खुद से आ गए राजा से मिलने के लिए आ करके नमस्कार किया राजन आपका स्वागत है मेरे आश्रम में आइए आप को शीतल जल पिलाते हैं राजा भड़क गया कि क्या मतलब पानी पानी की बात कर रहे हो मैं आपका इंतजार कर रहा हूं आप मेरे से इंतजार करवा रहे हो मैं आपसे ज्ञान लेने के लिए आया हूं ज्ञानवान तो छोड़ो आपने मेरा अपमान कर दिया
और मतलब आप इतना छोटा सा काम कर रहे हो गड्ढा खोद रहे हो कौन सा बड़ा काम कर रहे हो फकीर बाबा जो थे उसने कहा कि बेटा कौन सा काम बड़ा है कौन सा काम छोटा है वह तो ऊपर वाला जानता है लेकिन मैं तो हर काम को बहुत बड़ा मानता हूं बहुत महत्वपूर्ण मानता हूं और रही बात ज्ञान की वह तो मैं तुम्हें पहले ही देख चुका हूं तो अब राजा के मन में जिज्ञासा जगी की ज्ञान कहां थी अभी तो बातचीत ही शुरू हुई और बाबा जी कह रहे हैं कि ज्ञान पहले ही दे चुका हूं
इन्होंने किस तरीके से मुझे ज्ञान दिया वह जानने के लिए उस राजा के मन में बहुत सारे सवाल उठने लगे को थोड़ा सा ठंडा हुआ शांत हो करके कुछ हो तो शायद बाबा जी थोड़ा बताएंगे उसने पूछा कि बाबा जी समझ में नहीं आया आप गड्ढा खोद रहे थे आप से मेरी बात नहीं होगी मैं आपका इंतजार कर रहा था आश्रम के बाहर खड़ा था और अब बोल रहे हैं कि मैंने तुम्हें ज्ञान दे दिया कैसा ज्ञान आपने मुझे दिया फकीर बाबा ने जो जवाब दिया ध्यान से सुनिए गा वह फकीर बाबा ने कहा कि बेटा जब मैं गड्ढा खोद रहा था लेकिन ऐसा नहीं था बल्कि गड्ढा खोदने का जो किया है वह बन चुका था मैं वहां पर काम करने वाले क्रिया नहीं था वह खुद में क्रिया होने लगी थी
मैं अपना काम नहीं कर रहा था वह क्रिया है वह बन चुका था मैं वहां पर काम करने वाला नहीं था वह खुद मैं जो क्रिया थी अपने आप होती चली गई मैं भी इतना तल्लीन हो चुका था कि मुझे तुम्हारी सैनिक और ना ही ढूंढने वालों की आवाज आई और बस अपना काम किए जा रहा था गड्ढा अपने आप खुद चला गया था और अपने आप काम किए जा रहा था और जब तक वह काम पूरा नहीं हुआ तो मुझे पता ही नहीं चला जैसे वह काम पूरा हुआ मुझे तुम नजर में आए और मेरा ध्यान तुम पर और मैं तुमसे मिलने के लिए आ गया उस दिन उस फकीर बाबा ने उस राजा को बहुत बड़ी बात सिखाई कि कौन से स्टेशन क्या चीज होती है।
इस कहानी से यह सीख मिलती है कि
कि इस दुनिया में कई सारे लोग अपना टारगेट बनाते हैं गोल्स बनाते हैं टारगेट बनाते हैं और टारगेट अचीव नहीं कर पाते क्योंकि आप काम करने वाले होते हो लेकिन उसमें लेकिन वह ढंग से कर नहीं रहे होते हो मुकेश या नहीं हो रही होती आपका कौन से स्टेशन हुआ नहीं होता है जो भी आप टारगेट बना रहे हैं लाइफ में जो भी आप करना चाहते हैं मन के साथ कीजिए पैशन के साथ के साथ कीजिए और पूरी लगन के साथ कीजिए वह चीज आपके पास जरूर आएगी वही बात काम करने की तो उस काम के लिए सोचेगा कि वह काम करने में आपको मजा आ रहा है या नहीं।
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धन्यवाद