जिंदगी में दो तरह के दोस्त हमेशा होने चाहिए, पहले कृष्ण जैसे जो ना लड़े फिर भी जीत पक्की कर दें और दूसरी कर्ण जैसे जो हार सामने हो मगर फिर भी साथ ना छोड़े।
यह कहानी है छत्रपति शिवाजी महाराज की छत्रपति शिवाजी महाराज उन दिनों जब जंगल जंगल भटक रहे थे। अपने साम्राज्य को फिर से स्थापित करने में लगे थे तब भटकते भटकते रास्ता भटक गए तब एक झोपड़ी के सामने जाखड़ के खड़े हो गए बड़ी जोर की भूख लगी थी जाकर के दरवाजा खटखटाया अंदर से एक वृद्ध महिला बहार आई उन्हें देखते ही प्रणाम किया और बोला की माताजी मुझे बड़ी भूख लगी है एक सैनिक आपके दरवाजे पर आ खड़ा हुआ है इसकी मदद कीजिए इसे कुछ पका कर के खिला दीजिए
जो कुछ आप की झोपड़ी में है प्रेम से खिलाइए मैं खा लूंगा उनकी यह बात सुनकर के वह वृद्ध महिला चौक गए कि अरे वाह गजब का विश्वास है वृद्ध महिला की झोपड़ी में जो कुछ भी था उन्होंने पका दिया खिचड़ी पक करके तैयार हो गई थोड़ी देर बाद पत्तल में पड़ोस दीया शिवाजी महाराज से कहा कि हाथ धो लीजिए। आपके लिए पत्तल पड़ोस दी गई है पत्तल के सामने जाकर के शिवाजी महाराज बैठ गए खिचड़ी पड़ोसी गई और फटाफट से जैसे ही खिचड़ी आई शिवाजी महाराज ने खिचड़ी के बीचो बीच जाकर के उंगलियां डाल दी और खिचड़ी बीच में से गर्म थी
वह भाप उठ रही थी कि खिचड़ी के बीचो-बीच से तो उनकी उंगलियां जल गई तो हाथ बाहर निकाला फटाफट से और फूंक मारने लगे तो जैसे ही ये सब कुछ हुआ वह वृद्ध महिला हंसने लगी उन्होंने बोला कि यह तुमने ये जो किया बिल्कुल शिवाजी की तरह किया तुम दिख भी शिवाजी की तरह रहे हो और नासमझ भी उसी की तरह हो तो जैसे ही उस महिला ने शिवाजी को ना समझ बोला शिवाजी महाराज जो वहां बैठे थे खिचड़ी खा रहे थे उन्हें अजीब सा लगा बुरा सा लगा
जिसकी हर कोई तारीफ कर रहा है बुद्धिमानी कह रहा है उसको यह महिला नासमझ कह रही हैं तो उन्होंने पूछा की माता जी आपने शिवाजी को ना समझ क्यों कहा और मुझे आप कह रही हो कि मैं उनके तरह दिखता हूं यह तो मेरे लिए गौरव की बात है सम्मान की बात है मेरे लिए लेकिन वह नासमझ नहीं है क्योंकि मैं जितने भी लोगों को जानता हूं सब उसकी तारीफ करते हैं उनकी बुद्धिमानी की तारीफ करते हैं
शिवाजी की बात सुन कर के वह वृद्ध महिला बोली कि बेटा यह बात तो तुमने सही कहा कि वह बुद्धिमान है लेकिन इस समय जो वह कर रहा है ना समझ वाली हरकत कर रहा है। तो उन्होंने पूछा कि क्या कर रहा है
वह जो वृद्ध महिला थी तो उन्होंने बोला कि बेटा वह जो शिवाजी कर रहा है वह छोटी-छोटी किलो पर विजय हासिल नहीं कर रहा है वो तो बड़े किलो पर आक्रमण कर रहा है और इसी चक्कर में वह मुंह की खा रहा है
उसे छोटे-छोटे किलो पर आक्रमण करना चाहिए तुम उसी के तरह ना समझे कर रहे थे तुम्हें जब खिचड़ी पड़ोसी गई तो तुमने बीच में ले जाकर के उंगलियां डाल दी तुम चाहते तो किनारे से खा सकते थे किनारे वाली खिचड़ी ठंडी हो चुकी थी तुमने भी वही हरकत की वही गलती की जो छत्रपति शिवाजी कर रहा है उस दिन शिवाजी महाराज ने खिचड़ी खाने के बाद उनके चरणों में जाकर के प्रणाम किया और बताया कि मैं ही शिवाजी हूं और मुझे आप ने जिंदगी की सबसे बड़ी सीख दी है की जिंदगी में बड़ा लक्ष्य हासिल करना है तो छोटे-छोटे लक्ष्य बनाइए बड़ा लक्ष्य अपने आप आप तक पहुंच जाएगा।
इस कहानी से यह सीख मिलती है कि
किसी को भी ओवरनाइट सक्सेस मिलती हैं हम कई सारी सक्सेस स्टोरी पढ़ते हैं घर में बात होती है कि देखो रातो रात लेकिन ऐसा नहीं होता है
ओवरनाइट सक्सेस कुछ नहीं होती है उसके पीछे सालों की मेहनत होती है और किसी एक्ट्रेस की मूवी चल निकलती है हम कहते हैं कितनी कमाल की मूवी है इस मूवी में कितनी कमाल की परफॉर्मेंस दी है नहीं उस एक मूवी से पहले उसने हजारों परफॉर्मेंस दी है छोटे-छोटे एड्स दी हैं शॉर्ट फिल्म्स की है पता नहीं कौन-कौन से एडवरटाइजमेंट्स की है उसकी वजह से वह यहां तक पहुंचा है